कोरिया : कैलाश एवं हंसलाल के जीवन में सुकून का आशियाना
प्रधानमंत्री आवास योजना ने दी छांव, सुरक्षा और सुख
कोरिया 23 सितम्बर 2024
रोटी, कपड़ा और मकान, ये तीनों हर इंसान की बुनियादी जरूरत हैं और समाज के विकास के मजबूत आधार भी। जब इन आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, तो व्यक्ति को जीवन में स्थायित्व, सुरक्षा और सुकून का अनुभव होता है। इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश के लाखों ‘बेघर‘ परिवारों को पक्का आवास दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसका असर कोरिया जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में भी दिखने लगा है, जहां कई परिवारों के सपनों को नए पंख मिल गए हैं।
इसी कड़ी में सोनहत विकासखंड के ग्राम मधौरा और कटगोड़ी निवासी कैलाश, पिता श्री हरिराम और हंसलाल, पिता श्री देवनारायण, अब प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत पक्के मकान में रहने लगे हैं। इन दोनों परिश्रमी व्यक्तियों ने कभी कल्पना नहीं की थी कि उनके सिर पर पक्की छत होगी, लेकिन मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की सरकार के सुशासन और जिला प्रशासन के प्रयासों के कारण यह सपना साकार हुआ।
कैलाश और हंसलाल पहले कच्चे मकानों में रहकर मजदूरी का काम करते थे। बारिश, धूप और ठंड से असुरक्षित यह मकान उनके लिए बड़ी चुनौती थे। लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दोनों हितग्राहियों को मिले 2 लाख 60 हजार रुपए की सहायता और मनरेगा के तहत 95-95 दिवस की मजदूरी से उन्होंने अपने लिए पक्का मकान बनवाया। अब उनके परिवार सुरक्षित, स्थिर और सुकून भरे आशियाने में जीवन बिता रहे हैं।
यह परिवर्तन केवल एक मकान का निर्माण नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन की दिशा बदलने वाली घटना है। पक्के मकान के साथ उन्हें अब सुरक्षित जीवन की गारंटी और बेहतर भविष्य की उम्मीद मिली है। दोनों परिवारों ने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और जिला प्रशासन का आभार व्यक्त किया है, जिनकी पहल से उनका जीवन स्थायित्व की ओर बढ़ा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाली यह सुविधा न केवल उनके सपनों को साकार कर रही है, बल्कि समाज के अन्य जरूरतमंद परिवारों को भी प्रेरित कर रही है। इस योजना का लाभ उन लाखों लोगों तक पहुंचाया जा रहा है, जो अब-तक कच्चे मकानों में असुरक्षित और कठिन परिस्थितियों में जीवन बिता रहे थे।
इस तरह कैलाश और हंसलाल के परिवार आज पक्के मकान में सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उनके लिए यह न केवल एक छत है, बल्कि एक नई शुरुआत है, जहां से वे अपने बच्चों के भविष्य के सपने देख सकते हैं।