नोटबंदी, जीएसटी के चलते 18 लाख उद्योग बंद हुए वहां काम करने वाले 54 लाख बेरोजगार हो गये

बीजेपी सरकार रोजगार देने में असफल, 45 साल में सबसे खराब स्थिति: कांग्रेस

असंगठित उद्योगों में 9.3 प्रतिशत की गिरावट, नोटबंदी, GST और कोविड महामारी का असर

छत्तीसगढ़ में 48 हजार से अधिक सरकारी पदों पर भर्ती बाधित, अनियमित कर्मचारियों की छटनी: कांग्रेस

भाजपा सरकार में बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिलता उल्टा जिनके हाथ में रोजगार होती है उन्हें भी छीना जाता

       रायपुर। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार में बीते 7 साल में 18 लाख से अधिक उद्योग बंद हो गए और वहां काम करने वाले 54 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं। भाजपा की सरकार बेरोजगारों को रोजगार देने में असफल रही है। इनके नीतियों के चलते जिनके हाथ में रोजगार होता है उनसे भी रोजगार छिन जाता है। संगठित और असंगठित क्षेत्र को और सरकारी पदों पर नई भर्ती नहीं होने के कारण बेरोजगारी के मामले में देश 45 साल पुराने स्थिति में खड़ी हुई है देश में 30 लाख से अधिक सरकारी पद रिक्त पड़े हुए हैं सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया गया जिसमें छटनी हुआ है नई भर्तियां नहीं हो रही है।

       धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि असंगठित उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण एएसयूएसई और नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस एनएसएसओ के आंकड़ों के खुलासा हो गया कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 9.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 2015-16 में 3करोड़ 60 लाख लोग काम कर रहे थे वह घटकर 2022-23 में 3 करोड़ 6 लाख हो गई। 15 प्रतिशत की गिरावट आयी। इसका मुख्य कारण नोटबंदी,जीएसटी और कोविड महामारी के दौरान केंद्र सरकार का कुप्रबंधन है जिसके चलते असंगठित क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ है।

       छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा जो 48 हजार से अधिक सरकारी पदों पर नियमित भर्ती की प्रक्रिया चल रही थी उसको दुर्भावना पूर्वक बाधित कर दिया गया है। 100 दिन में अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का वादा था, लेकिन अनियमित कर्मचारियों की छटनी की जा रही है। दैनिक वेतन भोगियों का वेतन रोक दिया गया है। ठेले खोमचे चला कर जीवन यापन करने वालों को बेदखल किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार की अकर्मण्यता और उपेक्षा के चलते उद्योग व्यापार चौपट होने से निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर घट गए हैं।

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