क्रिष्टोफर पॉल की अपील: कोई भी शिक्षक कोई भी विषय नहीं पढ़ा सकता, विषय बाध्यता की पुनर्स्थापना की मांग
दुर्ग। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा भर्ती और पदोन्नति नियमों में किए गए संशोधन के तहत सरकारी मीडिल स्कूलों में शिक्षकों को किसी भी संकाय में पढ़ाने का आदेश जारी किया गया था। इस संशोधन का विषय विशेषज्ञों ने जमकर विरोध किया और मामला अदालत तक पहुँच गया। बावजूद इसके, यह मुद्दा अभी भी न्यायालय में विचाराधीन है।
विषय विशेषज्ञों को नई सरकार से उम्मीद है कि वे इस संशोधन को रद्द कर पुनः विषय बाध्यता लागू करेंगे, क्योंकि शिक्षा का अधिकार कानून में भी यह प्रावधान शामिल है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल पिछले एक वर्ष से इस मामले पर जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत करा रहे हैं कि सरकारी मीडिल स्कूलों में विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति अत्यावश्यक है। उनके अनुसार, विशेषज्ञ शिक्षकों के बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना असंभव है।
श्री पॉल का मानना है कि कोई भी शिक्षक किसी भी विषय को नहीं पढ़ा सकता है। शिक्षकों की भर्ती विषयवार ही होनी चाहिए, जैसा कि शिक्षा का अधिकार कानून में भी प्रावधानित है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा विषय बाध्यता हटाने का निर्णय समझ से परे है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
क्रिष्टोफर पॉल की इस अपील का मुख्य उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना और छात्रों को उनके विषय के अनुसार विशेषज्ञ शिक्षकों से शिक्षा दिलवाना है। उनके अनुसार, यह कदम शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने और छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगा।
वर्तमान सरकार से इस मुद्दे पर निर्णायक कदम उठाने की अपेक्षा की जा रही है ताकि शिक्षकों की भर्ती और पदोन्नति के नियमों में उचित संशोधन कर विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति सुनिश्चित की जा सके। इस प्रकार, छात्रों को उनकी शिक्षा में सर्वोत्तम संभव मार्गदर्शन और ज्ञान प्राप्त हो सकेगा।